Wednesday, October 26, 2011

दिवाली


इस बार की दिवाली पर थोड़ी सी और रौनक बढा देना
कहीं देखो किसी के घर में अँधियारा
थोड़े से हौंसले का बस एक दीया जला देना
लगा देना उस दीये में एक बाती अपनत्व की
स्नेह के तेल से उसे पूरा भर देना
मुस्कान की लौ से, उस अपनत्व की बाती को जला कर
हिफाजत से उस हौंसले के दीये को उस घर की चौखट पर रख देना
इस बार की दिवाली पर बस थोड़ी सी और रौनक बढा देना

Tuesday, October 25, 2011

सपने कभी पुरे नहीं होते


सपने कभी पुरे नहीं होते
वह अधूरे रहते है पुरे होने के इंतजार में
और ये इंतजार दिनों महीनो और सालो में
परिवर्तन होता रहता है
और खत्म होता है इंसान के आखरी सासों में..