कल रात ना जाने क्यों एक डरावना ख्वाब आया
किसी का चेहरा चाँद में नजर आया…
डरा सहमा किसी अनजान पगडंडी पे
अकेला चला जा रहा था
ना किसी का साथ,ना किसी का हाथ
पीछे छुटी वह यादे
मुझे चीख चीख के पुकारती….
पर मै एक कठोर बन
डरा सहमा अनजान पगडंडी पे
अकेला चला जा रहा था……..