Sunday, September 22, 2013

ख्वाब


कल रात ना जाने क्यों एक डरावना ख्वाब आया 
किसी का चेहरा चाँद में नजर आया...
डरा सहमा किसी अनजान पगडंडी पे 
अकेला चला जा रहा था 
ना किसी का साथ,ना किसी का हाथ 
पीछे छुटी वह यादे 
                                      मुझे चीख चीख के पुकारती....
                                     पर मै एक कठोर बन 
                                   डरा सहमा अनजान पगडंडी पे 
                                        अकेला चला जा रहा था........

कुछ पल


कुछ पल ज़िंदगी का हिस्सा बन जाता है
कुछ लोग इस जहा में "खुदा" बन जाता है 
कोई भूल जाता है 
तो किसी को भुलाया नहीं जाता
उसकी हर पल,हर ख़ुशी 
अपनी ख़ुशी लगती है
अपना हर दर्द को छुपा के 
उसकी हर ख़ुशी के लिए
ये हाथ उठती है
सदा खुश रहो ये दुआ हमेसा ये दिल करती है..

कुछ बदला बदला सा है

कुछ बदला बदला सा है
मौसम बदल रहा है 
या आप
ऐसे चुपके से गुजरी
की मुझको खबर ही न हो
पर एक हवा का एक छोखा 
तुम्हारे बदन की खुश्बू चुरा के लाई.