कहा हो तुम आ जाओ
तुम्हारे रहो पर फूल बिचयागे
चाँद को तोर कर तुम्हारे लिये लायेगे
सितारों को जमी पर बीचायेगे
संगमरमर का महल बनायेगे
ऋतुराज बशंत को तुम्हारे लिये कैद का लेंगे
आ भी जावो अब
दूध से तुम्हे नह्लायेगे
रेशम की साडी आपने हाथो से
तुम्हे पहनायेगे
फूलो के सेज पर तुमको सुलायेगे
तुम्हारे सर को धीरे धीरे सह्लायेगे
खुद जगेगे पर तुमको सुला देंगे ....
आ भी जाओ अब........
Sunday, April 11, 2010
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