तुम कुछ भूली नहीं हो
मै सोचता की तुम सब कुछ भुला दी
तुम्हारी वह अदरख की चाय
आज भी मुझे याद है
जिसमे तुम्हरा प्यार था
वह आज फिर से जिंदा हो गया
जब मै आज “कुछ तो लोग कहेंगे”
देखने का आदेश हुआ....
मै आज भी किसी और का बनाया अदरख की चाय नहीं पीता खुद बनाता हू जिसमे तुम्हारा एहसास होता है.
0 comments:
Post a Comment