सीने से चेहरा हटाने ना देता
आतीं कभी तुम अगर ज़िंदगी में
कभी एक पल को भी जाने ना देता
नींदें तुम्हारी मेरी बाज़ुओं में
सीने से सर ये हटाने ना देता
सर रख के सोती मेरे बाज़ुओं पर
कभी तुमको तकिया लगाने ना देता
खफा हो किसी से खुशामद मैं करता
किसी और को मैं मनाने ना देता
पढ़ता मुहब्बत आँखों में रात भर
कुछ भी लबों से बताने ना देता
वफ़ा बेवफ़ाई जो कुछ भी करतीं
किसी बात के भी मैं ताने ने देता
सुलगते हुए पल मेरे दिल में रखता
धड़कन तुम्हारी जलाने ना देता
तुम्हरी भी कसमे मैं पूरी करता
वादा तुम्हे इक निभाने ना देता.
Tuesday, December 22, 2009
सीने से चेहरा हटाने ना देता
Posted by
MY HEART
at
9:19 AM
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1 comments:
कई रंगों को समेटे एक खूबसूरत भाव दर्शाती बढ़िया कविता...बधाई
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