प्यार
तुम मन को छू लो,
मैं अंतर्मन को छू लूंगी,
पास तुम्हारे जितनी दुनिया,
रंग खुशियों के भर दूंगी।
पंख लगे हर सपने में,
जब आभास तेरा, बने पंख मेरे,
चुन लूं हर वो तारा जिसपे,
गुदे हुए हैं नाम तेरे।
सोज़ तुम्ही मेरा, साज़ भी तुम हो,
मेरे दिल की हर बात भी तुम हो,
सांसों से जो दिल तक जाती,
वो हसरत, वो चाहत भी तुम हो।
आहिस्ता-आहिस्ता से तैर रहे हैं,
ख्वाब तुम्हारे, इन आंखों में
बंद किये बैठी हूं पलकें,
रात समझ के सहर को मैं।
Thursday, January 14, 2010
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