नींद की लहरों में
ख्वाबों के समंदर से उठ कर
रौशनी की चाह जगाता हुआ
चमचमाती चाँदनी शुभ्रा सा
घुलता है मन के गहराई में
तेरे होने का एहसास
ऑस की बूँदों में
मखमल की पंखुड़ियों पे खिल कर
खुद में ही भिगता हुआ
गुलाब से लम्हो को जीता
मिलता है दिल के साज़ में
तेरे होने का एहसास
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