Sunday, April 18, 2010

तेरा एहसास

नींद की लहरों में
ख्वाबों
के समंदर से उठ कर

रौशनी
की चाह जगाता हुआ

चमचमाती
चाँदनी शुभ्रा सा

घुलता
है मन के गहराई में

तेरे
होने का एहसास

ऑस की बूँदों में
मखमल की पंखुड़ियों पे खिल कर

खुद में ही भिगता हुआ

गुलाब से लम्हो को जीता

मिलता है दिल के साज़ में

तेरे होने का एहसास

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