Saturday, April 17, 2010

ज़िंदगी

तुमसे हूँ मैं और मुझसे हो तुम वरना तो सब अधूरा
यही लफ्ज़ बार बार मूड कर हमसे ज़िंदगी कहेती है |

सुनो तुम मेरा गीत और मैं तुम्हारी धड़कन में बस जाउँ
बन जाए ऐसी धुन जिस में जीवन की नदिया मिलती है |

साँसों में उसकी खुशबू घुली सी , ज़ुबान पर बन मिठास
आँखों में नमकिन सा पानी का झरना बन के रहती है |

वैसे कदम से कदम मिलाकर चलती ,पल पल का बंधन
जब ज़रूरत महसूस होता साथ,तो नज़रों से छिपती है |

पशेमा पशेमा हो ये मन ढूंढता है उसे अंधेरो उजालो में
किसी कोने से झाकति ,मंद मुस्काती खिलती,बहती है |

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