तुम हमे आज कल वैसे ही अच्छे लगते हो
आधे अधूरे ,
हम तुम में अपनी भावनाए भर दे
और तुम हम में जज़्बात भरो
ताकि कुछ लेन देन होता रहे
तुझ में और हम में जुड़े रहने के लिए
इसीलिए पूनम की चका चौंध रौशनी से
ज़्यादा कुछ रीता कुछ खाली सा
आधा चाँद ही भाता है मन को
आसमान से छन छन कर आती उसकी किरने
सहेला देती है दिल के उस कोने को रोज रोज
साथ देती है हर रात,
जहा तुम रहते हो…..
Wednesday, April 14, 2010
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