एक ही बार छोटी सी बात
एक ही वक़्त हुई मुलाक़ात
पल भर के लिए ही मिली थी नज़र
दिल धड़का था ज़ोरों से मगर
लगा जैसे तू ही हे वो
जिसे ढूँढ रही मे अरसो से
तलाश थी इस जीवन में
जिसकी मुझे बरसों से
बहार आई हे संग तेरे
या ये कोई हे सपना सा
तू बेगबा और आनजाना
इतना क्यों लगे अपना सा
Wednesday, April 14, 2010
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