वक़्त अपनी रफ़्तार में मुझे भी ढलने दो
मैं भी एक जर्रा हूँ तेरे लम्हे से गिरा हुआ |
कितनी जल्दी है तुझे,कहाँ पहुँचना है बताओ
तुम्हे भाग भाग कर पकड़ना नही होता मुझ से
रुक जा कही,साँस तॉ लेलुँ ज़रा,खुद के खेल ना रचाओ
तेरे कदमो से कदम मिला कर,कभी मुझे भी चलने दे
वक़्त अपनी रफ़्तार में मुझे भी ढलने दो
मैं भी एक क़तरा हूँ तेरे लम्हे से मिला हुआ |
कभी तुम धीमे चलते हो,मेरे पीछे रहते हो
मूड मूड कर देखती रहती हूँ तुझे,के पास आओगे
छुप जाते हो तुम,जब मुझे किसी का इंतज़ार होता है
ज़रूरत होगी इस दिल को तेरी,क्या तब साथ रह पाओगे
वक़्त अपनी रफ़्तार में मुझे भी ढलने दो
मैं भी एक आस हूँ तेरे लम्हे से जुड़ा हुआ |
Sunday, April 18, 2010
वक़्त अपनी रफ़्तार में मुझे भी ढलने दो
Posted by
MY HEART
at
10:24 AM
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1 comments:
bahut khub
कभी तुम धीमे चलते हो,मेरे पीछे रहते हो
मूड मूड कर देखती रहती हूँ तुझे,के पास आओगे
छुप जाते हो तुम,जब मुझे किसी का इंतज़ार होता है
ज़रूरत होगी इस दिल को तेरी,क्या तब साथ रह पाओगे
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com
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