Saturday, October 9, 2010

दूर होने से एहसास ख़त्म नहीं होता

दूर होने से एहसास ख़त्म नहीं होता
वह तो जिंदा रहता है सांसे बन कर
मुझसे जीतना दूर जाओगे उतना ही करीब
मै रहूगा 
जो दर्द मेरे अंदर हो रहा है
उसे तुम नहीं जान सकती
तुम खुद से मुझे दूर कर सकती हो
पर मुझे आपने आप से नहीं
क्यों की मुझ में तुम हो
और मेरा अंत होने पर ही
मुझ से तुम अलग हो सकती हो
फिर भी उस जहा से मै तुम्हारा साथ दूंगा
तुझे देखूगा,तुम्हारा ख्याल रहूगा
मै तुम्हारा हु और तुम्हारा ही रहूगा ....

3 comments:

संजय भास्‍कर said...

सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं.
आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.

kavita verma said...

gahre ehasas...badiya...

ASHOK BAJAJ said...

बढ़िया पोस्ट , आभार .

कृपया सुझाव दें - -
" किताबों का डिजिटलाइजेशन "

Post a Comment