आज का यह दिन
इतिहास बन गया
प्रकृति भी
मानो गवाह बन गई
इंद्र देव भी स्वागत
में बारिश की बूंदें,
हम दोनों को नहला रही हो
सूरज देव भी अपनी
गर्माहट भरी किरणे बिखेर रही हो
हवा भी जैसे कोई संगीत गुनगुना रही हो .
हम दोनों एक दूसरे में खोये कही जा रहे हो
वक्त जैसे थम सा गया हो
हर रास्ता गवाह बन रहा था
हम दोने के इस मिलन का
स्वागत कर रहा था
हर पल हर वह लम्हा
वक्त में कैद हो रहा था
और हम कही दूर जा रहे थे...............
Friday, October 29, 2010
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