Wednesday, October 20, 2010

प्यार की परिभाषा किया है

प्यार की परिभाषा क्या है
हम इतने कमजोर क्यों हो जाते है
प्यार तो समर्पण है
जहा जीवन और म्रत्यु कोई महत्व नहीं रखता
यह तो इश्वर का दिया वह रूप है जहा
हम विलीन हो जाते है
यह त्याग है,यह तपस्या है,
जो आपने चाहने वाले पर अर्पित कर देता है
प्यार कई रूप में मेरे सामने आता है
हर रूप में तुम ही तुम नजर आती हो
भगवन में भी तुम नजर आती हो
क्यों की भगवन में हमारी श्रधा है
और जहा श्रधा होता है प्यार वही बस्ता है
तुम्हारी ख़ुशी के लिए अगर आपना जीवन भी
त्याग  दू तो यह भी कम होगा......

0 comments:

Post a Comment