Friday, November 5, 2010

जाने तू मेरी क्या है, जाने में तेरा क्या हु

जाने  तू मेरी  क्या है, जाने में तेरा क्या हु ,
साथ तेरे हर पल, साथ हर लम्हा था..
जाने कैसी कसक है, जाने कैसी तड़प है,
क्यों यह आँखे नाम  है, जाने कैसा गम है..
है दोस्ती हमको यकीन था, दोस्ती और कुछ भी नहीं था,
पर कैसे तुझ को बोले, क्यों चुभते है पैरों में कांटे,
जाना दिल जाना, कैसे मैंने ना जाना,
की प्यार यही है, यह जाने तू या जाने ना..
जाना दिल जाना, कैसे तुने ना जाना,
यह प्यार तो है, यह जाने तू या जाने ना..
जाने तू मेरी क्या है, जाने में तेरा क्या था,
साथ तेरे हर पल, साथ हर लम्हा था ..
क्यों ऐसे चुभती है तुझसे दूरी,
क्यों लगती है ज़िन्दगी यूँ अधूरी,
छुआ किसी ने तुझको तो लगा की,
दिल में किसी ने जैसे आग लगा के,
दुनिया जला दी..हे  मेरी …
जाने तू मेरी क्या है, जाने में तेरा क्या था,
साथ तेरे हर पल, साथ हर लम्हा था..
जाने कैसी कसक है, जाने कैसी तड़प है,
क्यों यह आँखे नाम  है, जाने कैसा गम है.
जाने  दिल जाना, कैसे मैंने ना जाना ,
की प्यार यही है, यह जाने  तू  या  जाने  ना ..

1 comments:

वीना श्रीवास्तव said...

प्यार से भरे आपके ब्लॉग को फॉलो कर लिया है...यहां हर तरफ प्यार ही प्यार है....बहुत अच्छा...आपके दिल में प्यार यूं ही बसा रहे...

http://veenakesur.blogspot.com/

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