जो सपना सजाये थे मैंने तुम्हारी आखोँ से
वह सपना अब टूट गया
एक खुशी दिखती थी तुम्हारी आखों में
मेरा इंतजार रहता था तुम्हारी आखों को
मेरा हर एहसास को तुम महसुस करती थी
मेरा हर दर्द तुम जान लेती थी
पर आज वह सब न जाने कही खो गया
मै अब तुम्हारा खुशी नहीं रहा
लगता है कोई और मुझसे चुरा के तुमको ले गया
लेकिन तुम तो मेरी वह प्यार हो
जिसे मै अपने मन मंदीर में स्थापित कर लिया
और देवी किसी मंदीर में एक बार ही स्थापित की जाती है
तुम जहा भी रहो खुश रहो
खुशियाँ तुम्हारी कदम चूमे तुम आबाद रहो
लग जाये मेरी उम्र भी तुमको
तुम्हारे खुशी के लिए मेरी जान भी चली जाये
तो ये मेरी खुशकिस्मती होगी
ये जीवन तुम्हारा है तुम्हारा ही रहेगा
अगले जन्म फिर तुम्हारा इंतजार रहेगा.......
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