Saturday, April 23, 2011

.................रिश्ते....................




कुछ रिश्ते ऐसे होते है जिनका कोई नाम नहीं होता
लेकिन वो नाम वाले रिश्ते से भी ज्यादा मजबूत होता है
एक साधारण सी दिखने वाली
किसी के आखों का नूर बन जाता है
तुम्हे एहसास हो या न हो
पर तुम मेरे जीवन का हिस्सा बन गई हो  
एक नजर तुम्हारे दीदार को तरसता हू
मै जनता हू की तुम चाह के भी मुझे भूला नहीं पाएगी
और मै चाह के भी तुम को
आपने जिंदगी से अलग नहीं कर पाएगे
कोई आपने शरीर से आत्मा को अलग कर पाया
हा तुम मेरे आत्मा हो आत्मा.....  
जो एहसास बन कर मेरे पास रहता है
और यही एहसास मेरे जीवन का सहारा है. 

Thursday, April 21, 2011

.......................वह सपना अब टूट गया........................


जो सपना सजाये थे मैंने तुम्हारी आखोँ से
वह सपना अब टूट गया 
एक खुशी दिखती थी तुम्हारी आखों में
मेरा इंतजार रहता था तुम्हारी आखों को  
मेरा हर एहसास को तुम महसुस करती थी
मेरा हर दर्द तुम जान लेती थी
पर आज वह सब न जाने कही खो गया
मै अब तुम्हारा खुशी नहीं रहा
लगता है कोई और मुझसे चुरा के तुमको ले गया
लेकिन तुम तो मेरी वह प्यार हो
जिसे मै अपने मन मंदीर में स्थापित कर लिया
और देवी किसी मंदीर में एक बार ही स्थापित की जाती है
तुम जहा भी रहो खुश रहो
खुशियाँ तुम्हारी कदम चूमे तुम आबाद रहो
लग जाये मेरी उम्र भी तुमको
तुम्हारे खुशी के लिए मेरी जान भी चली जाये
तो ये मेरी खुशकिस्मती होगी
ये जीवन तुम्हारा है तुम्हारा ही रहेगा
अगले जन्म फिर तुम्हारा इंतजार रहेगा.......
 


   

Wednesday, April 20, 2011

तुम्हारे एह्सास में मै नहीं


तुम्हारे एह्सास में मै नहीं
पर मेरे हर एह्सास में तू है
मुझसे तुम दूर चले गए तो क्या
मेरी परछाई तो तू है.
छोड़ देंगे हर निंशा तुम्हारे दामन में
दूर चले जायेगे तुमसे
खो जाऊँगा कही जहा
खुद को पहचान न पाउगा मै.
सोचा था दूर रह कर के भी
हमलोग पास रहेगे,हर एह्सास को साथ रखेगे
हर दुःख दर्द साथ बाटेंगे....

Tuesday, April 12, 2011

तुम पास हो और दूर भी

तुम पास हो और दूर भी
तुम ख्वाब हो और हकीकत भी
तुम मेरा कोई नहीं पर मेरी जिंदिगी भी
तुम बस चुके हो मेरे दिल में और धरकती हो दिल बन कर तुम ही.

Tuesday, April 5, 2011

एहसास ख़त्म नहीं होता


                       
दूर होने से एहसास ख़त्म नहीं होता
वह तो जिंदा रहता है सांसे बन कर
मुझसे जीतना दूर जाओगे उतना ही करीब
मै रहूगा 
जो दर्द मेरे अंदर हो रहा है
उसे तुम नहीं जान सकती
तुम खुद से मुझे दूर कर सकती हो
पर मुझे आपने आप से नहीं
क्यों की मुझ में तुम हो
और मेरा अंत होने पर ही
मुझ से तुम अलग हो सकती हो
फिर भी उस जहा से मै तुम्हारा साथ दूंगा
तुझे देखूगा,तुम्हारा ख्याल रहूगा
मै तुम्हारा हु और तुम्हारा ही रहूगा ....

Monday, April 4, 2011

प्यार की परिभाषा क्या है


प्यार की परिभाषा क्या है
हम इतने कमजोर क्यों हो जाते है
प्यार तो समर्पण है
जहा जीवन और म्रत्यु कोई महत्व नहीं रखता
यह तो इश्वर का दिया वह रूप है जहा
हम विलीन हो जाते है
यह त्याग है,यह तपस्या है,
जो आपने चाहने वाले पर अर्पित कर देता है
प्यार कई रूप में मेरे सामने आता है
हर रूप में तुम ही तुम नजर आती हो
भगवन में भी तुम नजर आती हो
क्यों की भगवन में हमारी श्रधा है
और जहा श्रधा होता है प्यार वही बस्ता है
तुम्हारी ख़ुशी के लिए अगर आपना जीवन भी
त्याग  दू तो यह भी कम होगा......