हमारी दुनिया बिल्कुल अलग है
तुम्हे प्रति जो समर्पण की भावना है
वह इस दुनिया के लोगो से
बिल्कुल अलग है
मेरे मन मंदिर में जो अस्थान तुम्हारा है
वह इस दुनिया के लोगो को नहीं पता
नहीं पता प्यार किया होता है
आपनापन कैसे बनता है
दुसरो के दिल में आपना अस्थान कैसे बनता है
यह दुनिया मतलबी होता जा रहा है
पर मै उन लोगो में नहीं हु
तुम मेरे लिए सदा एक आदर्श के रूप में
सदा मेरे जीवन में रहोगी
और शायद जीवन के बाद भी .........
Thursday, August 26, 2010
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1 comments:
बढ़िया!
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