Tuesday, December 28, 2010

एक भावना,एक माध्यम है

एक भावना,एक माध्यम है 
कुछ पाने और कुछ खोने का 

कभी ना कर सकी इस भावना का इज़हार 
और ना ही कभी किया है इंतज़ार 


एसे ही उमड़ पड़ता है 
जब कोई चीज़ बहुत हो ज़्यादा,या बहुत कम 

दबे पाव आए , आहट भी ना होये 
बस एक हलचल महसूस करता है 

गम और खुशियों से मिलन करता है 
जुड़ ज़्याता है मन से, ज़िंदगी में ,ये अहसास 

मेरी ही भावना मुझे थमाता है
और अनकहे ही चला ज़्याता है, ये अहसास

2 comments:

Anonymous said...

सीधे और सच्चे मनोभाव

वीना श्रीवास्तव said...

मेरी ही भावना मुझे थमाता है
और अनकहे ही चला ज़्याता है, ये अहसास

क्या बात कही है आपने ...बहुत खूब

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