हां मैं तुझसे प्यार करता हूं
जैसे हवाएं
सागर की लहरों से करती हैं
जिन्हें उछालते हुए खुद को ही
आकार देती हैं वो
और उसमें घुलती हैं थोडा-थोडा
जैसे मेरी हंसी
तुम्हारी आंखों की चमक में घुलती है
हां मैं तुमसे प्यार करता हूं
जैस नदियां समंदर से करती हैं
जिसमें जा मिलती हैं वो
बिना किसी शोर के
खुद को अनस्तित्व करती हुई
उसकी असीमता को बल प्रदान करतीं
हां मैं तुमसे प्यार करता हूं
जैसे चांदनी इस धरती से करती है
जिसकी चोटियों को वह
उसी तरह सहलाती है
जैसे उसकी खाइयों को भरती है
अपनी ठंडी फिसलती रोशनी से
हां मैं तुझसे प्यार करता हूं
जैसे सुबहें और शामें करती हैं मुझसे
जिनमें उगते हुए भू-दृश्यों में
चलती चली जाती हैं निगाहें
जैसी कि वेा डूबती चली जाती हैं
तुम्हारी आंखों की छवि मे ...
Monday, January 25, 2010
हां मैं तुझसे प्यार करता हूं
Sunday, January 17, 2010
जीने का दील करता नही पर मौत है कि आती नही ,
यादों का सहारा कल तक जीने के लिए काफी था
अब आँखों को नींद है कि आती नही
अब जब गुजरता हूँ उन्ही वादियों से फिर कभी
जो हसीं लगती थी कल तक वो अब दिल को भाती नही
वो सांसों कि गर्मियां जेहन मै भी हैं अब भी बसीं
पर अब क्या हुआ जो धडकने फिर से तेज हो जाती नही
अब गेसुयों कि खुशबू ख्यालों मै तो हैं मगर
क्या हुआ जो अब वो गेसू खुल के बिखर जाती नही
वो छेड़ जाना नजरों से सबसे नजर बचा कर के
क्या हुआ उन नजरों को , कि अब वो शोखियाँ आती नही
वो अपलक देखना तेरा जब भी गुजरना पास से
और वो सहेलियों का कहना कि एक तू है कि शर्माती नही
सबका पूछना कि चेहरे पे तो दीखती हैं शुर्खियाँ तेरे
और एक तू है कि हम से कुछ बताती नही
अब भी करती हैं परेशां बस वही मुहब्बत कि बातें
कोशिश करता हूँ बहुत पर वो सरगोशियाँ भूल पाती नही
भूल के ना भूल पाया हूँ मै उस भूल को
जीने का दिल करता नही पर मौत है कि आती नही ,
Thursday, January 14, 2010
प्यार
तुम मन को छू लो,
मैं अंतर्मन को छू लूंगी,
पास तुम्हारे जितनी दुनिया,
रंग खुशियों के भर दूंगी।
पंख लगे हर सपने में,
जब आभास तेरा, बने पंख मेरे,
चुन लूं हर वो तारा जिसपे,
गुदे हुए हैं नाम तेरे।
सोज़ तुम्ही मेरा, साज़ भी तुम हो,
मेरे दिल की हर बात भी तुम हो,
सांसों से जो दिल तक जाती,
वो हसरत, वो चाहत भी तुम हो।
आहिस्ता-आहिस्ता से तैर रहे हैं,
ख्वाब तुम्हारे, इन आंखों में
बंद किये बैठी हूं पलकें,
रात समझ के सहर को मैं।