Monday, April 26, 2010
मै जीना चाहता हु
कुछ गुजरे हुए कल आज मेरे पास आ कर मेरे जख्म को ताजा
कर दीया आपना दर्द जीससे बटता था
आज उससे भी बाते नहीं हो सकी
मै जीना चाहता हु
तुम्हारे लिये तुम्हारे खुशी के लिए
जीना चाहता हु.........
मेरे जीवन में किया है
कुछ साँसे तुम्हारे लिये बचाना है
मुझे जीना है..
Friday, April 23, 2010
तुझे पता है
सारा दिन थक कर जब घर आता हु
जल्दी से कॉफ़ी मेरे लिये तुम बनती
और साथ बैठ कर पीते फिर
तुम मेरे सर के बालो से खेलने लगती हो
और मुझे सुकून मिलता
कभी अपने आचल में मुझे छुपा लेती
तो कभी मेरे चेहरे को अपने सीने से लगा कर
हमारी सारी थकन को खुद में समेत लेती
और मै तुम से कभी दूर न जाये
यह एहसास खुद में बसा लेता हु.........
आखे खुली तो खुद को अकेला पाया
यह अक्सर मेरे साथ होता है......
यह जानते हुए की तुम मेरे पहुच से कोसो दूर हो
फिर भी तुम्हे अपने पास पता हु
तुम्हे हमेसा हमेसा के लिये अपने अन्दर समां चूका हु
तमको पता नहीं होगा ?
मेरे अन्दर तुम आत्मा की तरह बस चुकी हो
जो कभी मरता नहीं है
मरता नहीं है
Thursday, April 22, 2010
तुम्हारे बिना
तुम मेरे लिए किया हो यह तुम भी नहीं जानती हो।
शायद प्यार इसी को कहते है।
हा मुझे तुमसे प्यार है,प्यार है
जो कभी खत्म नहीं हो सकता
किसी भी जनम में नहीं.
Monday, April 19, 2010
अक्सर सुनता आया हूँ,वक़्त की कमी है
अक्सर सुनता आया हूँ,वक़्त की कमी है |
मेरी आँखों में बस, तेरी यादों की नमी है ||
एक वक़्त था जब,हम लम्हा लम्हा जिये थे |
इश्क़ की मधुरा ,तुम्हारे साथ साथ पिये थे ||
सच कहते है सब,के वक़्त रेत का टीला है |
समझ नही पाए खेल,वक़्त ने जो खेला है ||
वक़्त ही तो था , तुम सावन से आए थे |
वक़्त ने ही बताया , तुम बस साये थे ||
वक़्त ने ही हमारे, इश्क़ का बिगुल बजाया |
वक़्त ने ही हमारे , अरमानो को सजाया ||
ढूँढ रहा हूँ आज, वो वक़्त कहा खो गया है |
मुझे ख्वाब से जगाया ,और खुद सो गया है ||
यारा इश्क़ के साथ , मेरा सब कुछ चला गया है |
अब तो एक इंतज़ार, और वक़्त ही बाकी रह गया है ||
Sunday, April 18, 2010
वक़्त अपनी रफ़्तार में मुझे भी ढलने दो
वक़्त अपनी रफ़्तार में मुझे भी ढलने दो
मैं भी एक जर्रा हूँ तेरे लम्हे से गिरा हुआ |
कितनी जल्दी है तुझे,कहाँ पहुँचना है बताओ
तुम्हे भाग भाग कर पकड़ना नही होता मुझ से
रुक जा कही,साँस तॉ लेलुँ ज़रा,खुद के खेल ना रचाओ
तेरे कदमो से कदम मिला कर,कभी मुझे भी चलने दे
वक़्त अपनी रफ़्तार में मुझे भी ढलने दो
मैं भी एक क़तरा हूँ तेरे लम्हे से मिला हुआ |
कभी तुम धीमे चलते हो,मेरे पीछे रहते हो
मूड मूड कर देखती रहती हूँ तुझे,के पास आओगे
छुप जाते हो तुम,जब मुझे किसी का इंतज़ार होता है
ज़रूरत होगी इस दिल को तेरी,क्या तब साथ रह पाओगे
वक़्त अपनी रफ़्तार में मुझे भी ढलने दो
मैं भी एक आस हूँ तेरे लम्हे से जुड़ा हुआ |
प्यार और दर्द का गहरा रिश्ता
प्यार और दर्द का गहरा रिश्ता होता है
दोनो है अलग फिर भी हमे भिगोता है |
दोनो में ही आँखों से निकलते वो आँसू
दोनो में ही दिल सिसक सिसक के रोता है |
तस्सली देनेवाले तो मिल जाते है बहोत
मरहम-ए-दवा करनेवाला कोई ना होता है |
चोट तो हमे लगती है मगर इस कदर
गले लगाओ जितना,मंन और चैन खोता है |
उनके चेहरे पर गम,अंदर मुस्कान के साए
दूसरे का गम देख,कोई और खुश होता है |
इतना ना करो जतन,के खुद को बैठो भुलाए
दुनिया के सामने तेरा फसाना बहुत छोटा है |
पलकों का परदा हटाओ,सितारे गुलशन सजाए
ऐसा कभी ना सोच के तुझसे हर रब रूठा है |
तेरा एहसास
नींद की लहरों में
ख्वाबों के समंदर से उठ कर
रौशनी की चाह जगाता हुआ
चमचमाती चाँदनी शुभ्रा सा
घुलता है मन के गहराई में
तेरे होने का एहसास
ऑस की बूँदों में
मखमल की पंखुड़ियों पे खिल कर
खुद में ही भिगता हुआ
गुलाब से लम्हो को जीता
मिलता है दिल के साज़ में
तेरे होने का एहसास
Saturday, April 17, 2010
ज़िंदगी
तुमसे हूँ मैं और मुझसे हो तुम वरना तो सब अधूरा
यही लफ्ज़ बार बार मूड कर हमसे ज़िंदगी कहेती है |
सुनो तुम मेरा गीत और मैं तुम्हारी धड़कन में बस जाउँ
बन जाए ऐसी धुन जिस में जीवन की नदिया मिलती है |
साँसों में उसकी खुशबू घुली सी , ज़ुबान पर बन मिठास
आँखों में नमकिन सा पानी का झरना बन के रहती है |
वैसे कदम से कदम मिलाकर चलती ,पल पल का बंधन
जब ज़रूरत महसूस होता साथ,तो नज़रों से छिपती है |
पशेमा पशेमा हो ये मन ढूंढता है उसे अंधेरो उजालो में
किसी कोने से झाकति ,मंद मुस्काती खिलती,बहती है |
Wednesday, April 14, 2010
तुम हमे आज कल वैसे ही अच्छे लगते हो
आधे अधूरे ,
हम तुम में अपनी भावनाए भर दे
और तुम हम में जज़्बात भरो
ताकि कुछ लेन देन होता रहे
तुझ में और हम में जुड़े रहने के लिए
इसीलिए पूनम की चका चौंध रौशनी से
ज़्यादा कुछ रीता कुछ खाली सा
आधा चाँद ही भाता है मन को
आसमान से छन छन कर आती उसकी किरने
सहेला देती है दिल के उस कोने को रोज रोज
साथ देती है हर रात,
जहा तुम रहते हो…..
एक ही बार छोटी सी बात
एक ही वक़्त हुई मुलाक़ात
पल भर के लिए ही मिली थी नज़र
दिल धड़का था ज़ोरों से मगर
लगा जैसे तू ही हे वो
जिसे ढूँढ रही मे अरसो से
तलाश थी इस जीवन में
जिसकी मुझे बरसों से
बहार आई हे संग तेरे
या ये कोई हे सपना सा
तू बेगबा और आनजाना
इतना क्यों लगे अपना सा
Monday, April 12, 2010
एक शाम जा चुकी हे जिंदगी की
Sunday, April 11, 2010
कहा हो तुम
तुम्हारे रहो पर फूल बिचयागे
चाँद को तोर कर तुम्हारे लिये लायेगे
सितारों को जमी पर बीचायेगे
संगमरमर का महल बनायेगे
ऋतुराज बशंत को तुम्हारे लिये कैद का लेंगे
आ भी जावो अब
दूध से तुम्हे नह्लायेगे
रेशम की साडी आपने हाथो से
तुम्हे पहनायेगे
फूलो के सेज पर तुमको सुलायेगे
तुम्हारे सर को धीरे धीरे सह्लायेगे
खुद जगेगे पर तुमको सुला देंगे ....
आ भी जाओ अब........
मेरी विवशता
ये मेरी विबश्ता है
जिए भी कैसे तुम्हारे बिना
ये भी मेरी एक़ विबश्ता है
और मै अपने इस विबस्ता से पुर्णतः विबश हु......